Monday, April 23, 2018

दिल्ली के मावलंकर हॉल में धूम-धाम से मना वीर कुँवर सिंह विजयोत्सव समारोह


नई दिल्ली, 23 अप्रैल। दिल्ली भाजपा पूर्वांचल मोर्चा एवं अखिल भारतीय इतिहास संकलन योजना के संयुक्त तत्वाधान में प्रथम स्वतंत्रता संग्राम 1857 के महानायक बाबू वीर कुँवर सिंह विजयोत्सव समारोह का आयोजन मावलंकर हॉल, नई दिल्ली में किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता बिहार से भाजपा के राज्यसभा सांसद श्री गोपाल नारायण सिंह ने किया। समारोह का उद्घाटन अखिल भारतीय इतिहास संकलन योजना के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. सतीश चन्द्र मित्तल, राज्यसभा सांसद एवं पत्रकार श्री आर के सिन्हा, अखिल अखिल भारतीय इतिहास संकलन योजना के राष्ट्रीय संगठन सचिव डॉ बालमुकुन्द पाण्डेय, राज्यसभा सांसद श्री गोपाल नारायण सिंह, भाजपा दिल्ली पूर्वांचल मोर्चा के अध्यक्ष श्री मनीष सिंह ने दीप प्रज्ज्वलित कर एवं वीर कुँवर सिंह के चित्र पर पुष्प अर्पित कर किया। इस अवसर पर भोजपुरी भाषा में मंचित लघु नाटक के माध्यम से उनकी वीरगाथा और जीवनी को प्रदर्शित भी किया गया। डॉ. बालमुकुन्द पाण्डेय ने कहा कि वीर कुँवर सिंह हमारे हीरो है, ऐसे वीर कुँवर सिंह जिन्होंने 80 वर्ष की अवस्था में फिरंगियों से लड़ते हुए वीरगति को प्राप्त की थी वैसे वीर पर आज इतिहास मौन है। 1857 के संग्राम में लगभग 3.5 लाख लोग शहीद हुए थे, दिल्ली के चाँदनी चैक पर लगभग 27 हजार लोगों को फाँसी हुई थी। देश में आजादी के बाद चंद परिवार और चंद लोगों के नाम पर देश के सारे संस्थानों के नाम रख दिये गए जिसके कारण हमारे उन महान वीरों को आने वाली पीढ़ी भूल गई। आज दिन है आजादी के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के शहीदों को याद करने का। दिल्ली भाजपा पूर्वांचल मोर्चा अध्यक्ष श्री मनीष सिंह ने कार्यक्रम में आये हुए सभी अतिथियों और जनता को धन्यवाद और आभार प्रकट किया। श्री मनीष सिंह ने कहा कि दिल्ली भाजपा का पूर्वांचल मोर्चा अब प्रत्येक वर्ष वीर कुँवर सिंह का विजयोत्सव बड़ी धूम-धाम से मनायेगा। श्री आर के सिन्हा ने कहा कि बाबू वीर कुँवर सिंह लोकनायक थे वे किसी क्षेत्र, राज्य, जात या धर्म के नेता नहीं थे वो पुरे हिंदुस्तान के नेता थे। वीर कुँवर सिंह जी को इस देश का पहला स्वतंत्रता सेनानी कहा जाये तो अतिशयोक्ति नहीं होगी वैसे महान वीर को इस देश की सरकारों ने गुमनाम कर दिया। वीर कुँवर सिंह का बलिदान जितना बड़ा है राष्ट्रीय स्तर पर उन्हें उतनी पहचान नहीं मिली है। देश में स्वतंत्रता आन्दोलन की नींव रखने वाले इस अमर शहीद को उनके योगदान के लिए याद किये जाने की जरुरत है ताकि नयी पीढ़ी अपने नायक को सही ढंग से जान सके। डॉ. सतीश चन्द्र मित्तल ने कहा कि जो 1857 की क्रांति है वो विश्व की सबसे बड़ी क्रांति है। यह क्रांति आश्चर्यजनक, अद्भुत, और परिवर्तनकारी थी। ऐसी क्रांति जो एक साथ 20 स्थानों पर लड़ी गयी, जिसमे लगभग 4 लाख लोग शहीद हो गए जो 13 महीनों तक चली। विश्व के इतिहास में ऐसी क्रांति देखने को नहीं मिलती। वैसी क्रांति के वीर कुँवर सिंह सबसे बड़े योजक थे। 81 वर्ष की उम्र में लगातार 9 महीने तक देश की आजादी की लड़ाई लड़ने वाले ऐसे विरले महानायक अमर शहीद को जीवन को हमारी आने वाली पीढ़ियों को बताने की जरुरत है। श्री गोपाल नारायण सिंह ने कहा कि वीर कुँवर सिंह अन्याय विरोधी एवं स्वतंत्रता प्रेमी थे। इस महान कुशल सेनानायक को 80 के उम्र में भी लड़ने और विजय हासिल करने के लिए जाना जाता है। उन्होंने 23 अप्रैल 1857 को आपने जगदीशपुर के किले पर से अंग्रेजों का यूनियन जैक उतारकर और भारतीय झंडा फहराकर आजाद कराया था इसलिए आज के दिवस को हमलोग वीर कुंवर सिंह विजयोत्सव मना रहे है। श्री सिंह ने कहा कि इस महान जननायक को राष्ट्रीय पहचान देने के लिए उनके जीवन और संघर्ष पर एक फिल्म बनाने कि बनाने की जरुरत है जिससे उनके जीवन को आज की पीढ़ी को उनसे जीवन से यह सीखने को मिले की यदि संकल्प दृढ हो तो 80 साल के उम्र में भी मजबूत दुश्मन के सामने भी जीत दर्ज की जा सकती है। उनका जीवन हम सबके लिए प्रेरणादायक है।

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