आज की दिल्ली / इंडियन न्यूज़ ऑनलाइन
इस मंदिर को 'तनाह लोत मंदिर' के नाम से जाना जाता है, जो इंडोनेशिया के बाली में है। दरअसल, स्थानीय भाषा में 'तनाह लोत' का मतलब समुद्री भूमि (समुद्र में भूमि) होता है। यह मंदिर बाली में सागर तट पर बने उन सात मंदिरों में से एक है, जिन्हें एक श्रृंखला के रूप में बनाया गया है, जिसकी खासियत ये है कि हर मंदिर से अगला मंदिर स्पष्ट दिखता है।
यह मंदिर जिस शिला पर टिका हुआ है, वह 1980 में कमजोर होकर झड़ने लगी थी, जिसके बाद मंदिर और उसके आसपास के क्षेत्र को खतरनाक घोषित कर दिया गया था। बाद में जापान की सरकार ने इसे बचाने के लिए इंडोनेशियाई सरकार की मदद की थी। तब जाकर चट्टान के लगभग एक तिहाई हिस्से को कृत्रिम चट्टान से ढंककर एक नया रूप दिया गया।
कहते हैं कि तनाह लोत मंदिर का निर्माण 15वीं सदी में निरर्थ नाम के एक पुजारी ने कराया था। समुद्र तट के किनारे-किनारे चलते हुए वो इस जगह पर पहुंचे थे, जिसके बाद इस जगह की सुंदरता उन्हें भा गई। वो यहां रात भर ठहरे भी थे। उन्होंने ही आसपास के मछुआरों से इस जगह पर समुद्र देवता का मंदिर बनाने का आग्रह किया था। इस मंदिर में पुजारी निरर्थ की भी पूजा होती है।
माना जाता है कि बुरी आत्माओं और बुरे लोगों से इस मंदिर की सुरक्षा इसकी शिला के नीचे रहने वाले विषैले और खतरनाक सांप करते हैं। कहते हैं कि पुजारी निरर्थ ने अपनी शक्ति से एक विशाल समुद्री सांप को पैदा किया था, जो आज भी इस मंदिर की सुरक्षा में तैनात है।
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