Thursday, April 23, 2020

सरकारी कार्यालयों के खुलने के साथ ही होने लगा संक्रमित मरीजों की संख्या में इजाफा

डॉ0 संगीता शर्मा अधिकारी की कलम से.....
शासन नियंताओं तक ये एक संदेश भी पहुंचे...20 अप्रैल, 2020 से सभी सरकारी कार्मिकों के लिए कार्यालय खोल दिए गए हैं। हम भी आदेशानुसार कार्यालय जा रहे हैं। मेरी ही तरह कार्यालय जा रहे अन्य सरकारी पदों पर तैनात मेरे दोस्तों और वरिष्ठ अधिकारियों से मेरी बात हुई तो सभी ने जो बातें बताई उसको लेकर सभी के मन में बहुत चिंता, बहुत बेचैनी और सच कहूं तो कहीं अधिक डर है कि एक आम आदमी की जिंदगी के क्या मायने हैं??? क्या इतना जरूरी है कार्यालयों का खोला जाना कि उसके लिए इंसान की जिंदगी को ही दरकिनार कर दिया जा रहा है?? कृपया कोई सुध ले कि अगर कुछ दिन और या कुछ और लंबे समय तक सभी संस्थान, सभी चीजें बंद कर भी दी जाएं तो क्या हो जाएगा??? और अगर बहुत ज्यादा ही जरूरत है कि कोई काम स्टक हो रहा है, रुक रहा है तो वर्क एट होम भी कराया जा सकता है और जो बहुत एसेंशियल विभाग है केवल उन्हीं को प्रारंभ किया जाए सभी को एक साथ क्यों?? सरकारी कार्यालयों में पदस्थ कार्मिक जो रोस्टर का पालन करते हुए इन दिनों कार्यालय जा रहा हैं उन सभी कि मिश्रित प्रतिक्रिया मैं, आपसे साझा कर रही हूं, मनन कीजिएगा😔🙏 1- 20 अप्रैल, 2020 को जब कार्मिक कार्यालय में पहुंचा तो उसकी सुरक्षा, स्वच्छता के कोई इंतजामात वहां नहीं थे। ये किसकी डयूटी है। 2- कार्यालय पहुंचा कार्मिक स्वयं कमरों में खड़े होकर सफाई कर्मचारियों से अनुरोध करके अपना कमरा साफ करवा रहे हैं। 3- एक महीने से बंद पड़े कमरों में लगे हुए मोटे - मोटे जाले, छिपकली, चूहे के बीच सफाई अभियान... इन सब से कार्मिकों को दो - चार होना पड़ा। 4- एक कार्मिक को उसके घर से लक्ष्मण रेखा को तोड़कर कार्यालय में काम करने के लिए बुलाया जाता है और एक ऐसी अनिश्चितकालीन मृत्यु शैया की और छोड़ दिया जाता है जो कब उसे अपनी चपेट में ले लेगी वह खुद उससे अनभिज्ञ है!!! 5- कार्मिक कक्ष में ही खड़ा है और कक्ष को सैनिटाइज किया जा रहा है!!! एक ऐसा स्प्रे का छिड़काव जो कपड़ों को जला तक सकता है। अब वह छिड़काव वाली कुर्सी पर जब बैठेगा तो सोचिए क्या हालत होगी... 6- एक अधिकारी को खुद से अपना और अपने आसपास का एरिया साफ करवाना पड़ रहा है... 7- दूसरी बात ये कि कार्यालय में हर फ्लोर पर अगर सैनिटाइजर की उपलब्धता हो तो कौन से सरकारी बजट में घाटा हो जाएगा यह मेरी समझ से परे है। एक तीन मंजिला इमारत में जहां हर फ्लोर पर सैनिटाइजर होना चाहिए वहां पर ये कह देना कि नीचे के फ्लोर पर तो उपलब्ध है वहीं से लीजिए क्या जरूरत है हर फ्लोर पर सैनिटाइजर देने की, एक अत्यंत चिंताजनक विषय है??? जब एक इंसान ही दूसरे इंसान के जीवन की अहमियत को दरकिनार करते हुए अभी भी अपने ही घमंड में मरा जा रहा है। कुछ चीजें आउट ऑफ द वे जाकर भी की जाती है जिसके लिए कलेजा चाहिए और जो सबके पास नहीं होता है। बेहद शर्मनाक स्थिति.... जबकि सरकार ने भी यह कहा है कि कोरोना वायरस के अहतियातन कोई भी कमी नहीं करनी है। जबकि फालतू की चीजों को करने पर ज्यादा जोर दिया जा रहा है। जिन चीजों की आवश्यकता भी नहीं है पहले उनको प्रारंभ कीजिए। ऑफिस में चाहे कोई आ भी नहीं रहा हो। कमाल है भई..... जबकि प्रधानमंत्री मोदी जी ने भी कहा है कि केवल कार्मिकों का वेतन ही दिया जाना है और किसी भी प्रकार का व्यय नहीं किया जाना चाहिए क्योंकि लॉक डाउन की वजह से वैसे ही व्यापार बंद है और कोरोना वायरस संक्रमण के फैलने से स्वास्थ्य संबंधी सुविधाएं मुहैया कराने के कारण सरकार पर अतिरिक्त व्यय की मार पहले से ही पड़ी हुई है तो ऐसी स्थिति में जब उच्च अधिकारियों को इन क्षेत्रों में जो हमारे अतिरिक्त व्यय के क्षेत्र हैं इन क्षेत्रों पर विशेष रूप से सोच - विचार कर, अपने विशेषाधिकार का प्रयोग करके तुरंत आवश्यक निर्णय लेने चाहिए। जबकि ऐसा ना करके वह पुरानी ढर्रे पर ही चली आ रही चीज़ों को अभी भी करते जाने के लिए आदेश दे रहे हैं। चाहे उस पर कितना भी खर्च हो रहा हो। बिना सोचे - समझे कि अभी इस लॉक डाउन के समय में उस चीज की बिल्कुल भी आवश्यकता नहीं है और यदि वह वस्तु साल भर भी उपयोग नहीं की जाएगी तो कोई फर्क नहीं पड़ेगा बल्कि आपको इसके लिए प्रशंसा ही मिलेगा कि आपने इन हालातों में मितव्ययिता करके देश के समक्ष एक अनुकरणीय उदाहरण प्रस्तुत किया है लेकिन इसके लिए अधिकारियों के पास दूरदृष्टि भी होनी चाहिए और तुरंत सटीक व सार्थक निर्णय लेने की क्षमता भी। 8- सबसे महत्वपूर्ण बात यह कि कार्यालय खुलने के बाद से वे कार्मिक कार्यालयों में बुलाए जा रहे हैं जो साइनिंग अथॉरिटी भी नहीं है!! जिनके पास कोई निर्णय लेने का अधिकार नहीं है!! उनसे मेल कराइए, फाइलें उठाइए, उसमें से कागजात ढूंढिए और कोराना को अपने साथ अपने घर ले जाइए....जब इन सब के लिए ही उन्हें कहा जाता है तो उनको दफ्तर में बुलाने का क्या लाभ है??? ऐसे में उनके कार्यालय में आने या ना आने का कोई औचित्य ही नहीं.... 9- एक बात और जो मुझे लगातार सुनने में आ रही है कि कहा गया था कि जॉइंट सेक्रेटरी और इससे ऊपर के स्तर के अधिकारियों से कार्यालय में उपस्थिति प्रारंभ की जाए लेकिन हो रहा है इसके ठीक विपरीत। जो उच्च स्तर के अधिकारी हैं उनकी जान सबसे ज्यादा कीमती है, इसलिए वे अपने घरों में बैठकर दूरभाष पर अपने अधीनस्थ कार्मिकों को फला काम कर लो, फला काम कर लो, के निर्देश दे रहे हैं, क्या यह उचित है??? 10- मेरे कुछ मित्रों ने यह भी बताया कि हम पब्लिक डीलिंग में है और हालांकि हमने दस्ताने पहने हुए हैं मास्क लगाया हुआ है बावजूद इसके हमें इतना डर लग रहा है क्योंकि लोग लगातार संपर्क में आ रहे हैं और पता नहीं कौन संक्रमित हो और किससे हम भी चपेट में आ जाए। बहुत ही भयावह स्थिति है??? 11- ऑफिस में केंटीन तक सुचारू गति से चल रही है😠 इस सबमें सबसे महत्त्वपूर्ण बात जो मुझे प्रतीत होती है वो ये कि आप, एक कार्मिक जो पिछले एक महीने से ईमानदारी से लॉक डाउन का पालन कर रहा था उसको लक्ष्मण रेखा पार करके दफ्तर आने के आदेश देते हैं तो उस कार्मिक के लिए उसके कार्यालय में आने से लेकर उसके कक्ष में बैठने की मूलभूत सुरक्षा - स्वच्छता से संबंधित नियमावली का पालन किया आपने??? ये किसकी डयूटी है??? इसका कोई जवाब नहीं होगा इंसानियत बेच चुके बेगैरत लोगों के पास!!! इस समय जब पूरा देश कोरोना वायरस महामारी से भयाक्रांत है उस समय में अगर सरकारी कर्मचारियों को कार्यालय में उपस्थित होकर काम करने के आदेश दिए जाते हैं और यह भी कहा जाता है कि आप रोस्टर का पालन कीजिए और नहीं करेंगे तो आप की छुट्टियां काटी जाएंगी और कार्रवाई होगी तो आप भी उन कार्मिकों और उनके परिवारों की जान की परवाह कीजिए साहब क्योंकि जान सभी की कीमती है। आज उसका तो कल आपका भी नंबर होगा!!!! हाल ही में एक केस मुझे सुनने में आया कि उस कार्यालय में एक फाइल जो किसी करोना वायरस संक्रमित व्यक्ति के हाथों से निकल कर आई तो वह फाइल जिन - जिन हाथों में पहुंची उन सभी को क्वॉरेंटाइन कर दिया गया है और उनमें से कुछ को कोरोना वायरस संक्रमित भी पाया गया है। अगर यही स्थिति रही तो हालात और भी बदतर हो जाएंगे क्योंकि हमारे देश में स्वास्थ्य सुविधाएं कितनी पुख्ता है ये हम सभी जानते हैं और जैसा कि हम सभी देख ही रहे हैं कि लगातार कोरोना वायरस संक्रमित मरीजों की संख्या में दिन-प्रतिदिन इजाफा हो रहा है और अब कार्यालय खुलने से कोरोना वायरस संक्रमित मरीजों की संख्या और अधिक बढ़ने लगेगी तो अस्पतालों में बहुत जबरदस्त भीड़ इकट्ठी हो जाएगी। लोगों का ठीक से इलाज तक संभव नहीं हो सकेगा। जब तक वैक्सीन न आ जाए या तो पुख्ता इंतजामात न हो तब तक वर्क एट होम कराया जाए वरना हम डॉक्टर, पुलिसकर्मियों, सेवाकर्मियों सभी कोराना वारियर्स इतनी शिद्दत से अपनी ड्यूटी निभा रहे हैं उन सभी की भी मुश्किलें बढा देंगे। अभी मैं ये लिख ही रही थी कि सरकारी कार्यालय खुल गए हैं जिससे कोरोना वायरस संक्रमित मरीजों की संख्या में इजाफा हो सकता है और अभी - अभी टीवी न्यूज़ चैनल पर मैंने देखा कि मेरे सिविल एविएशन ऑफिस में भी कुछ कार्मिकों के कोरोना वायरस संक्रमित होने का समाचार मिलते ही नागर विमानन मंत्रालय, मिनिस्ट्री ऑफ सिविल एविएशन को सील कर दिया गया है...चिंताएं अब और अधिक बढ़ गई हैं😔😢😭😭 समस्त मानव जाति और राष्ट्रहित के लिए सर्वोपरि संदर्भों में लॉक डाउन ही सबसे सटीक और कामयाब समाधान है। इस कोरोना वायरस महामारी को हराने का और राष्ट्र के प्रति अपनी सच्ची देशभक्ति निभाने का यही बेहतर समय है ताकि भारत को असामान्य स्थितियों का सामना ना करना पड़े और प्रत्येक भारतीय अपना, अपने परिवार और अपने परिजनों का खास ख्याल रख सके। घर ही में रहे। सुरक्षित रहे। स्वस्थ रहे। खुद को भीड़ से बचाए रखे। घर में टिकेगा इंडिया, तभी तो बचेगा इंडिया। अपने स्वयं और अपने सभी सहृदयों के प्रति डर से भरे हुए मन और उसकी चिंता...जान है तो जहान है। जय हिंद, जय भारत🙏🙏 डॉ संगीता शर्मा अधिकारी लेखिका - समाज सेविका।

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