आज की दिल्ली / इंडियन न्यूज़ ऑनलाइन
नए कोरोना वायरस की महामारी के बीच जब चीन के एक बैंक ने एक भारतीय कंपनी में 1.01 प्रतिशत हिस्सेदारी ख़रीदी, तो भारत की सरकार बेहद चिंतित हो गई.
अब भारत ने अपने प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की नीति में बदलाव किया है. ताकि चीन की कंपनियां, भारत के कारोबारी संस्थानों में अपनी हिस्सेदारी न बढ़ा सकें.
उम्मीद के मुताबिक़, चीन ने भारत के प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की नीति में बदलाव करने के फ़ैसले को भेदभाव करने वाला क़दम क़रार दिया है. भारत में चीन के दूतावास ने कहा कि भारत में चीन के निवेश हमेशा, भारत के औद्योगिक विकास को प्रोत्साहन देते हैं.
चीन के दूतावास के प्रवक्ता जी रोंग ने एक ट्वीट के माध्यम से भारत सरकार से गुज़ारिश की कि वो 'व्यापार में भेदभाव भरे इस बर्ताव में परिवर्तन लाए और निष्पक्ष, पारदर्शी एवं समान अवसर वाले व्यापारिक माहौल को बढ़ावा देने का काम करे.'
कोविड-19 के कारण भारत में चीन के ख़िलाफ़ माहौल बना
भारत सरकार ने प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के जो नए नियम बनाए हैं, उनके अनुसार, जिन देशों की ज़मीनी सरहदें भारत से मिलती हैं, अगर वो भारत के किसी कारोबार या कंपनी में निवेश करते हैं, तो इसके लिए भारत सरकार की मंज़ूरी लेनी अनिवार्य होगी. पहले ये पाबंदी केवल भारत में निवेश करने वाले पाकिस्तान और बांग्लादेश के निवेशकों पर लागू होती थी.
No comments:
Post a Comment
Note: Only a member of this blog may post a comment.