Thursday, May 28, 2020

चीन के ख़िलाफ़ अमरीका ने उठाया बड़ा क़दम और बढ़ सकता है टकराव


आज की दिल्ली / इंडियन न्यूज़ ऑनलाइन :



अमरीकी विदेश मंत्री माइक पॉम्पियो ने कांग्रेस को बताया है कि हॉन्ग कॉन्ग को जिस आधार पर अमरीकी क़ानून के तहत विशेष सुविधा मिली थी, वो आधार अब नहीं बचा है. अमरीका के इस फ़ैसले से अमरीका-हॉन्ग कॉन्ग व्यापार पर बहुत व्यापक असर पड़ेगा.
पॉम्पियो ने अपने बयान में कहा है, ''आज की तारीख़ में कोई भी तर्कसंगत व्यक्ति मज़बूती से यह नहीं कह सकता है कि हॉन्ग कॉन्ग को चीन से स्वायतत्ता मिली हुई है. इसे लेकर अब ऐसा कोई ठोस तथ्य नहीं है.''
अमरीका ने यह फ़ैसला तब किया है जब चीन हॉन्ग कॉन्ग में नया विवादित सुरक्षा क़ानून लागू करने जा रहा है. पॉम्पियो ने कहा, ''हॉन्ग की स्वायतत्ता और स्वतंत्रता को कमज़ोर करने के लिए चीन ने कई क़दम उठाए हैं और सुरक्षा क़ानून इस कड़ी का सबसे ताजा उदाहरण है. यह स्पष्ट है कि चीन हॉन्ग कॉन्ग की स्वायतत्ता को ख़त्म करने में लगा है.''
अमरीकी विदेश मंत्री माइक पॉम्पियो ने ट्वीट कर कहा है, ''आज मैंने कांग्रेस को बता दिया है कि हॉन्ग कॉन्ग को अब चीन से स्वायतत्ता नहीं मिली है. इसे लेकर तथ्य भी पेश किए गए हैं. अमरीका हॉन्ग कॉन्ग के लोगों के साथ खड़ा रहेगा.''

पॉम्पियो के बयान के मायने क्या हैं?

अब तक अमरीका ने अपने क़ानून के तहत हॉन्ग कॉन्ग को एक वैश्विक और ट्रेडिंग हब का विशेष दर्जा दे रखा था. अमरीका ने यह दर्जा तब से ही दे रखा था जब यह इलाक़ा ब्रिटिश उपनिवेश था. हॉन्ग कॉन्ग को कारोबार में कई तरह का अंतरराष्ट्रीय विशेषाधिकार हासिल था.
लेकिन पिछले साल से ही अमरीका ने हॉन्ग कॉन्ग में चीन बढ़ते प्रभाव को देखते हुए हॉन्ग कॉन्ग के मामले में अपने क़ानून का मूल्यांकन शुरू कर दिया था. अमरीकी विदेश मंत्रालय को कांग्रेस को यह बताना होता था कि हॉन्ग कॉन्ग को पर्याप्त स्वायतत्ता मिली है या नहीं.
अमरीका के इस फ़ैसले के बाद अब उसके लिए चीन और हॉन्ग कॉन्ग में कोई फ़र्क़ नहीं रह गया है. अमरीका कारोबार और अन्य मामलों में जैसे चीन के साथ पेश आता है वैसे हॉन्ग कॉन्ग के साथ भी आएगा.

इसका असर क्या होगा?

इसे अमरीका और हॉन्ग कॉन्ग के बीच अरबों डॉलर का कारोबार प्रभावित हो सकता है और भविष्य में यहां निवेश की राह भी और मुश्किल हो जाएगी. इससे चीन भी प्रभावित होगा क्योंकि वह हॉन्ग कॉन्ग को पूरी दुनिया के लिए कारोबारी हब के तौर पर इस्तेमाल करता था. चीन की कंपनियां और बहुराष्ट्रीय कंपनियों ने यहां अपना अंतरराष्ट्रीय या क्षेत्रीय बेस बना रखा था.
इसके अलावा अमरीका ने पिछले साल हॉन्ग कॉन्ग मानवाधिकार और लोकतंत्र विधेयक पास किया था. इसके तहत अमरीका उन लोगों को प्रतिबंधित कर सकता है जो अधिकारी हॉन्ग कॉन्ग में मानवाधिकारों के उल्लंघन के ज़िम्मेदार होंगे. अमरीका वीज़ा पाबंदी लगा सकता है या संपत्ति जब्त कर सकता है.
पॉम्पियों की घोषणा के ठीक बाद हॉन्ग कॉन्ग के लोकतंत्रवादी एक्टिविस्ट जोशुआ वोंग ने अमरीका, यूरोप और एशिया के नेताओं से कहा कि वो स्पेशल स्टेटस को लेकर फिर से सोचें. जोशुआ ने कहा कि चीन के सुरक्षा क़ानून के कारण हॉन्ग कॉन्ग में प्रवासियों और निवेश पर बहुत बुरा असर पड़ेगा. उन्होंने कहा कि स्वायतत्ता बनाए रखने से ही बिज़नेस को बचाया जा सकता है.

चीन का विवादित सुरक्षा क़ानून क्या है?

चीन ने हॉन्ग कॉन्ग में एक सुरक्षा क़ानून लागू करने का प्रस्ताव पास किया है. इस क़ानून के लागू होने के बाद किसी के लिए विरोध-प्रदर्शन करना आसान रहा जाएगा. चीन का कहना है कि यह हिंसक विरोध-प्रदर्शन को रोकने के लिए है. चीन विरोधी विरोध-प्रदर्शन यहां पिछले साल भी सड़क पर उतरा था.
तब भी लोग एक बिल के ख़िलाफ़ उतरे थे, जिसमें किसी संदिग्ध को चीन प्रत्यर्पण करने की बात थी. हालांकि उस बिल पर विवाद बढ़ा तो चीन को वापस लेना पड़ा था. कहा जा रहा है कि चीन का सुरक्षा क़ानून हॉन्ग कॉन्ग की आज़ादी को ख़त्म करने के लिए है.
1997 में ब्रिटिश उपनिवेश से चीन के पास जब हॉन्ग कॉन्ग गया तो उसका भी अपना एक संविधान भी था. इसके तहत हॉन्ग कॉन्ग को ख़ास तरह की स्वतंत्रता मिली हुई थी
हॉन्ग कॉन्ग को लेकर दुनिया भर के 200 सीनियर नेताओं ने एक साझा बयान जारी कर चीन आलोचना की है. मंगलवार को अमरीकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप ने कहा था कि अमरीका चीन के विवादित सुरक्षा क़ानून के ख़िलाफ़ बहुत ही प्रभावी क़दम उठाएगा.
हॉन्ग कॉन्ग को लेकर ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया और कनाडा भी गहरी चिंता जताई है. साल 1997 में जब हॉन्ग कॉन्ग को चीन के हवाले किया गया था तब बीजिंग ने 'एक देश-दो व्यवस्था' की अवधारणा के तहत कम से कम 2047 तक लोगों की स्वतंत्रता और उनकी क़ानून-व्यवस्था को बनाए रखने की गारंटी दी थी.

No comments:

Post a Comment

Note: Only a member of this blog may post a comment.