आज की दिल्ली / इंडियन न्यूज़ ऑनलाइन :
ईरान के सुप्रीम लीडर अयातुल्लाह अली ख़ामेनेई ने शुक्रवार को कहा कि इसराइल एक ट्यूमर है जिसे हटाया जाना है.
साथ ही उन्होंने फ़लस्तीन को ईरान से हथियार भेजने का भी समर्थन किया है. दूसरी तरफ़, अमरीका, यूरोपीय संघ और इसराइल ने ईरान के इस बयान की कड़ी आलोचना की है.
इसराइल का विरोध शिया बहुल ईरान में एक बड़ा मुद्दा है. इसराइल के साथ अमन का विरोध करने वाले फ़लस्तीनी और लेबनान के सशस्त्र गुटों को ईरान का समर्थन हासिल रहा है. ईरान ने आज तक इसराइल को मान्यता नहीं दी है.
समाचार एजेंसी रॉयटर्स के मुताबिक़ अयातुल्लाह अली ख़ामनेई ने कहा, "क्षेत्र में यहूदियों की हुकूमत एक ट्यूमर की तरह है जो जानलेवा और नासूर बन गया है. बेशक इसे एक दिन नेस्तनाबूद कर दिया जाएगा."
ख़ामेनेई ने रमज़ान के आख़िरी जुमे के दिन एक ऑनलाइन भाषण में ये बात कही.
अमरीका, यूरोपीय संघ और इसराइल ने ईरान की इस टिप्पणी पर कड़ी प्रतिक्रिया दी है.
इसराइल के प्रधानमंत्री बिन्यामिन नेतन्याहू ने ईरान को आगाह करते हुए कहा, "इसराइल को बर्बाद करने की धमकी देने वाली ताक़तों का भी वही हश्र होगा."
अमरीकी विदेश मंत्री माइक पॉम्पियो ने ख़ामेनेई के बयान को ख़ारिज करते हुए उसे घृणित और यहूदी विरोधी टिप्पणी करार दिया.
उन्होंने कहा कि ये बातें ईरान के आम लोगों की सहिष्णुता की परंपरा से मेल नहीं खाती हैं.
यूरोपीय संघ की विदेश नीति के प्रमुख जोसेफ़ बोरेल ने कहा कि ख़ामेनेई की टिप्पणी पूरी तरह से अस्वीकार्य हैं और ये चिंता का सबब भी है.
No comments:
Post a Comment
Note: Only a member of this blog may post a comment.