Friday, May 15, 2020

आत्मनिर्भर भारत का मंत्र- हम स्वदेशी

हैशटेग #humswadeshi के साथ शुरु किया नया स्वदेशी आंदोलन

नई दिल्ली। भारतीय अर्थव्यवस्था में सुधार के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जो आत्मनिर्भर भारत का संकल्प देश को दिया है उसका एक ही मंत्र है कि हम स्वदेशी अपनाएं। इसी उद्देश्य के लिए आलंबन चेरीटेबल ट्रस्ट ने एक अभियान शुरु किया है। जिसका नाम दिया गया है हम स्वदेशी हमभारत में बने उत्पादों का प्रयोग जब हम शुरु कर देगे तो निश्चित तौर पर विदेशो से आयातित या उनकी निर्मित वस्तुओ की बिक्री बंद हो जाएगी। इसके लिए चलाए जा रहे अभियान का हैशटेग होगा #humswadeshi  इस बारे में जानकारी देते हुए ट्रस्ट के अध्यक्ष योगराज शर्मा ने बताया कि आज देश को स्वनिर्मित उत्पादों पर निर्भर रहना है, जबकि पिछले कुछ सालों में चीन और अन्य देशो की बनी चीजों पर ज्यादा ध्यान देने लगे थे। लेकिन आज समय आत्मनिर्भर भारत बनाने का है। इसके लिए बस हमें केवल इतना करना होगा कि जब हम अपने परिवार के सामान की लिस्ट बनाने लगें तो ये समझ लें कि ये प्रोडक्टस भारतीय है या ये विदेशी। चुनकर भारतीय सामान ही खरीदना शुरु किया तो हमारा ये पूरा अभियान सफल होगा ही और भारत का पैसा भारत मे ही विकास मे काम आ सकेगा। भारतीय ही समृद्थ होंगे। योगराज शर्मा कहते है कि पीएम नरेंद्र मोदी ने भी लोगों से लोकल फॉर वोकलकी बात पर जोर दिया है. पीएम के इस आह्वान के बाद संघ और उसके समर्थक संस्थाएं अब लोगों ने लोगों से स्वदेशी वस्तुएं अपनाने पर जोर दे रही है. स्वदेशी जागरण मंच ने गृह मंत्रालय की तर्ज पर रक्षा मंत्रालय की आर्मी कैंटीन और अन्य मंत्रलाय में भी स्वदेशी लागू करने की बात कही है. लोगों को स्वदेशी अपनाने के लिए घर-घर प्रचार करने से लेकर सोशल मीडिया और व्हाट्सएप पर स्वदेशी और विदेशी वस्तुओं की सूची भेजकर अपने अभियान से जोड़ने का काम शुरु कर दिया है.

हम स्वदेशी अभियान के शुरु करने वाले योगराज शर्मा कहते हैं कि स्वदेशी का अर्थ है- 'अपने देश का' अथवा 'अपने देश में निर्मित'। वृहद अर्थ में किसी भौगोलिक क्षेत्र में जन्मी, निर्मित या कल्पित वस्तुओं, नीतियों, विचारों को स्वदेशी कहते हैं। वर्ष 1905 के बंग-भंग विरोधी जनजागरण से स्वदेशी आन्दोलन को बहुत बल मिला, यह 1911 तक चला और गाँधी जी के भारत में पदार्पण के पूर्व सभी सफल अन्दोलनों में से एक था। अरविन्द घोष, रवीन्द्रनाथ ठाकुर, वीर सावरकर, लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक और लाला लाजपत राय स्वदेशी आन्दोलन के मुख्य उद्घोषक थे। आगे चलकर यही स्वदेशी आन्दोलन महात्मा गांधी के स्वतन्त्रता आन्दोलन का भी केन्द्र-बिन्दु बन गया। उन्होंने इसे "स्वराज की आत्मा" कहा।

उन्होने बताया कि हमें यह समझना होगा कि देश में जो भी विकास अभी तक हुआ है, वह वास्तव में स्वदेशी के आधार पर ही हुआ है। कुल पूंजी निवेश में विदेशी पूंजी का हिस्सा २ प्रतिशत से भी कम है और वह भी गैर जरूरी क्षेत्रों में विदेशी पूंजी निवेश जाता है। आज चिकित्सा के क्षेत्र में भारत दुनिया का सिरमौर देश बन चुका है इसके लिए जिम्मेदार विदेशी पूंजी नहीं, बल्कि भारतीय डाक्टरों की उत्कृष्टता है। आज अंतरिक्ष के क्षेत्र में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान केन्द्र जो पूरी तरह से भारतीय प्रौद्योगिकी के आधार पर विकसित हुआ है, ने दुनिया में अपनी कामयाबी के झंडे गाड़ दिये हैं। आज दुनिया के जाने-माने देश भी अपने अंतरिक्ष यानों को अंतरिक्ष की कक्षा में स्थापित करने के लिए भारतीय 'पी.एस.एल.वी.' का सहारा लेते हैं। सामरिक क्षेत्र में आणविक विस्फोट कर भारत पहले ही दुनिया को अचंभित कर चुका है। उधर अग्नि प्रक्षेपपास्त्र का निर्माण हमारे दुश्मनों को दहला रहा है। दुनियाभर में भारत के वैज्ञानिकों, डाक्टरों और इंजीनियरों ने अपनी धाक जमा रखी है। सरकार के तमाम दावों के बावजूद आयातों पर निर्भरता बढ़ने के बावजूद हमारे निर्यातों में वृद्धि नहीं हो रही, लेकिन हमारे सॉफ्टवेयर इंजीनियरों की अथक मेहनत के कारण हमारे सॉफ्टवेयर के बढ़ते निर्यात सरकार की गलत नीतियों के बावजूद देश को लाभान्वित कर रहे हैं।

 

इन सभी क्षेत्रों में हमारी प्रगति किसी भी दृष्टिकोण से विदेशी निवेश और भूमंडलीकरण के कारण नहीं, बल्कि हमारे संसाधनों, हमारे वैज्ञानिकों और उत्कृष्ट मानव संसाधनों के कारण हो रही है। अभी भी समय है कि सरकार विदेशी निवेश के मोह को त्याग कर, स्वदेशी यानी स्वेदशी संसाधन, स्वदेशी प्रौद्योगिकी और स्वदेशी मानव संसाधनों के आधार पर विकास करने की मानसिकता अपनाए। आज जब अमरीका और यूरोप सरीखे सभी देश भयंकर आर्थिक संकट से गुजर रहे हैं, तब भारत में स्वदेशी के आधार पर आर्थिक विकास ही एक मात्र विकल्प है।

 


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