Thursday, May 28, 2020

नेपाल बोला- एक तिहाई क्षेत्र भारत से हम पहले ही हार गए थे


आज की दिल्ली / इंडियन न्यूज़ ऑनलाइन :




नेपाल और भारत के बीच जारी सीमा विवाद अभी थमता नहीं दिख रहा है. नेपाल की राजनीति में यह मुद्दा अब भी उतना गर्म है. नेपाल के विदेश मंत्री प्रदीप कुमार ज्ञावली ने 'द हिन्दू' को दिए इंटरव्यू में कहा है कि इस मुद्दे पर भारत से बात करना चाहते हैं लेकिन बात नहीं हो पाई है.
ज्ञावली ने कहा, "भारत को कालापानी से सुरक्षा बलों को वापस बुला लेना चाहिए और यथस्थिति से छेड़छाड़ नहीं करनी चाहिए. सीमा विवाद का जल्द से जल्द समाधान होना चाहिए. हमलोग चाहते हैं कि भारत सुगौली संधि का सम्मान करे. सबसे अच्छा तो यही होता कि भारत अपने सुरक्षा बलों को वापस बुला लेता और हमारी ज़मीन हमें वापस कर देता. नेपाल के इलाक़े में सड़क बनाने का काम भारत को नहीं करना चाहिए था. अब भी पूरे विवाद को जितनी जल्दी हो सके निपटाने की ज़रूरत है."
ज्ञावली ने कहा, "पिछले साल नवंबर में भारत ने अचानाक से राजनीतिक नक्शा जारी कर हमें निराश किया था. यह नक्शा 1997 में भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री आईके गुजराल के नेपाल दौरे में बनी सहमति के ख़िलाफ़ है. नेपाल हमेशा से कोशिश करता रहा है कि विदेश सचिव के स्तर पर सीमा विवाद पर भारत से बातचीत शुरू हो लेकिन नहीं हो पाई. हमें भारत की तरफ़ से कोई जवाब नहीं मिलता है."
नेपाल सुगौली संधि के आधार पर लिपुलेख और कालापानी को लेकर दावा करता है. 19वीं सदी की शुरुआत में नेपाली शासकों और ईस्ट इंडिया कंपनी के बीच हुए समझौते को 21वीं सदी के राजनयिक विवाद में आधारशिला मानना सही है?
इस सवाल के जवाब में नेपाल के विदेश मंत्री ने कहा, "ऐतिहासिक दस्तावेज़ों को हम इस तरह से नहीं देख सकते. ब्रिटिश इंडिया से लड़ाई में नेपाल की हार के बाद ही सुगौली संधि हुई थी. नेपालियों के लिए सुगौली संधि को याद करना किसी गर्व से नहीं जुड़ा है. हम ब्रिटिश इंडिया के साथ लड़ाई में अपना एक तिहाई क्षेत्र हार गए थे. हम उस तथ्य को कैसे भूल जाएं कि एक संधि हुई थी जिसमें सीमा का निर्धारण हुआ था. सर्वे टीम 1981 से इसी आधार पर सीमा तय करती रही है. सुगौली संधि में ही नेपाल और भारत के बीच की सरहद तय हुई."
चीन की सेना लद्दाख में है और वो अपना दबदबा दिखा रही है. दूसरी तरफ़ कालापानी को लेकर विवाद है. सब कुछ एक साथ क्यों हो रहा है? क्या यह महज़ संयोग है? इस सवाल के जवाब में नेपाली विदेश मंत्री ने कहा, "नेपाल की विदेश नीति पूरी तरह से स्वतंत्र है. हमारा संबंध भारत और चीन दोनों से है. दोनों को जोड़ना और कोई संबंध खोजना फालतू की बात है. भारत ने पिछले साल नवंबर में एकतरफ़ा फ़ैसला लेते हुआ नया राजनीतिक नक्शा क्यों जारी किया था? काली नदी के पूरब का इलाक़ा जिनमें कालापानी, लिम्पियुधुरा और लिपुलेख हैं वो नेपाल के हैं. सुगौली संधि के अनुच्छेद पाँच में यह बात स्पष्ट रूप से कही गई है."
नेपाल ने चीन के साथ लगभग 20 समझौतों पर पिछले साल अक्टूबर में हस्ताक्षर किए थे. सोमवार से एक कार्गो क़रार ऑपरेशनल होने जा रहा है. लंबी अवधि में नेपाल का चीन के साथ क्या तैयारी है? इस सवाल के जवाब में नेपाल के विदेश मंत्री प्रदीप कुमार ज्ञावली ने कहा, "भारत के साथ हमारा संपर्क बहुत ही अच्छा है लेकिन हम ट्रांजिट रूट पर भी आगे बढ़ना चाहते हैं. हम चाहते हैं कि भारत और चीन दोनों के साथ हमारा संपर्क हो."

दिल्ली में सात दिनों में पहली बार नए मरीज़ 500 के नीचे

दिल्ली में पिछले 7 दिनों में पहली बार कोरोना के मामले एक दिन में 500 के नीचे दर्ज किए गए हैं.  एक सप्ताह से औसतन रोज़ 571 नए लोग इसके शिकार हो रहे थे लेकिन मंगलवार को 412 लोगों में संक्रमण की पुष्टि हुई.
इसके अलावा 24 घंटे के दौरान कुल 12 मरीज़ों की मौत हो गई. दिल्ली में डीडीए के तीन अधिकारियों की रिपोर्ट पॉजिटिव आई है. इस बीच दिल्ली सरकार ने होम आइसोलेशन वाले लोगों को बिना परेशानी ज़रूरी सामान और दवाइयां मुहैया कराने को लेकर कुछ क़दम उठाए हैं.
हर ज़िले में एसडीएम स्तर के एक नोडल अधिकारी की तैनाती होगी. नोडल अधिकारी का एक मोबाइल नंबर होगा, जिसे होम आइसोलेशन में रहने वालों को दिया जाएगा. नोडल ऑफिसर को ज़िले में होम आइसोलेशन में रहने वाले लोगों के नाम, पते, मोबाइल नंबर की लिस्ट दी जाएगी.
अगर कोई नोडल ऑफिसर के नंबर पर फ़ोन करता है तो उसकी समस्या को जल्द से जल्द दूर करना होगा. नोडल ऑफिसर खुद हर तीन से चार दिन पर लोगों से संपर्क करेंगे. दिल्ली में 3770 लोग होम आइसोलेशन में हैं. दिल्ली में एक हफ्ते से रोज आ रहे थे 500 से ज्यादा कोरोना केस.

एक लाख आबादी पर 0.3 मौतें, सबसे कम

देश में कोरोना मरीजों के ठीक होने की दर में तेजी से बढ़ोतरी हो रही है. अभी यह 41.61 प्रतिशत है. कुल मिलाकर अब तक 60,490 मरीज़ स्वस्थ हो चुके हैं. इसी तरह देश में कोरोना से मरने वालों की दर भी दुनिया भर में सबसे कम है. स्वास्थ्य मंत्रालय ने बताया कि कोरोना मृत्यु दर 15 अप्रैल के 3.3 प्रतिशत से घटकर 2.87 प्रतिशत पर आ गई है.
भारत में प्रति एक लाख आबादी पर 0.3 मौतें हुई हैं, जो विश्व में सबसे कम है. मंगलवार को देश में कोविड-19 से 146 और लोगों की जान चली गईं. देश में इस बीमारी से मरने वालों की संख्या 4,167 दर्ज की गई. कुल मामले 1,45,380 हो गए.

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