आज की दिल्ली / इंडियन न्यूज़ ऑनलाइन :
मिलेनियल्स यानी आज की जनरेशन की अगर हम बात करें तो यह कहना जरा भी गलत नहीं होगा की यह जनरेशन नई सोच रखने वाली है, जो जोश एवं ऊर्जा से भरपूर है, जिन्हें कोई भी पाबंदी या बंदिशे नहीं रोक सकती। आज के युवाओं की सोच आजाद है और शायद यही वजह कि है वो सब कुछ अपने हिसाब से करते हैं, बिंदास करते हैं और बिना कल की चिंता किए करते हैं।
अब चाहे उनका करियर चॉइस हो या लाइफस्टाइल, चाहे ट्रेडिशन को समझना हो या फॉलो करना, ये सब अपनी मर्जी से करते हैं और वो उसमें खुश भी हैं। जो इक्कीसवीं सदी के युवा हैं, वे अपनी लाइफ को लेकर काफी सजग और सुलझे हुए हैं, उन्हें अच्छे से पता है कि लाइफ में कैसे बैलेंस बना कर चलना है।
आज के युवा किसी भी बात का ज्यादा स्ट्रैस नहीं लेते क्योंकि उन्हें खुद पर कॉन्फिडेंस है। आज के समय में हमारे पास कई ऐसे उदहारण हैं जिन्होंने अपने दिल की सुनीं और वही किया जो उन्हें सही लगा। आज वे संतुष्ट हैं और दूसरों को मोटीवेट करते हैं। जैसे: रितेश अग्रवाल युवा पीढ़ी के लिए रोल मॉडल बन गए हैं।
21 वर्ष के रितेश अग्रवाल, जो ओयो रूम्स के संस्थापक और मुख्य कार्यकारी अधिकारी हैं, इन्होंने इतनी कम उम्र में ऐसा काम कर दिया कि वे अब न केवल उद्यमियों के लिए बल्कि युवाओं के लिए भी प्रेरणास्रोत हैं।
इनके जैसे कॉलेज ड्राप-आउट्स आज के युवाओं के रोल मॉडल हैं और यह सोचने पर मजबूर करते हैं की सक्सेसफुल होने के लिए सिर्फ पढाई लिखाई जरुरी नहीं, जरुरी है खुद पर भरोसा और यकीन।
हमारे पास कई और ऐसे कॉलेज ड्रॉप-आउट्स के उदहारण हैं जिन्होंने भारत में स्टार्टअप इंडस्ट्री को एक नई पहचान दी है और युवा उद्यमी बनकर ये साबित किया है की अगर हौसले बुलंद हों तो कामयाबी अपने आप आपके कदम चूमेगी।
वरुण शूर, कैलाश काटकर, दीपक रवींद्रन, रितेश अग्रवाल, कुणाल शाह, महेश मूर्ति, अजहर इकबाल, राहुल यादव, यह कुछ ऐसे नाम हैं जिन्होंने एक उदाहरण सेट किया है कि अगर आपको कामयाब होना है तो आप को लकीर से हटकर सोचना होगा, थोड़ा रिस्क भी लेना होगा और सही समय पर सही निर्णय लेना होगा। तब जा कर आप अपने सपने को साकार कर पाएंगे।
मिलेनियल्स यानी आज की जनरेशन की अगर हम बात करें तो यह कहना जरा भी गलत नहीं होगा की यह जनरेशन नई सोच रखने वाली है, जो जोश एवं ऊर्जा से भरपूर है, जिन्हें कोई भी पाबंदी या बंदिशे नहीं रोक सकती। आज के युवाओं की सोच आजाद है और शायद यही वजह कि है वो सब कुछ अपने हिसाब से करते हैं, बिंदास करते हैं और बिना कल की चिंता किए करते हैं।
अब चाहे उनका करियर चॉइस हो या लाइफस्टाइल, चाहे ट्रेडिशन को समझना हो या फॉलो करना, ये सब अपनी मर्जी से करते हैं और वो उसमें खुश भी हैं। जो इक्कीसवीं सदी के युवा हैं, वे अपनी लाइफ को लेकर काफी सजग और सुलझे हुए हैं, उन्हें अच्छे से पता है कि लाइफ में कैसे बैलेंस बना कर चलना है।
आज के युवा किसी भी बात का ज्यादा स्ट्रैस नहीं लेते क्योंकि उन्हें खुद पर कॉन्फिडेंस है। आज के समय में हमारे पास कई ऐसे उदहारण हैं जिन्होंने अपने दिल की सुनीं और वही किया जो उन्हें सही लगा। आज वे संतुष्ट हैं और दूसरों को मोटीवेट करते हैं। जैसे: रितेश अग्रवाल युवा पीढ़ी के लिए रोल मॉडल बन गए हैं।
इनके जैसे कॉलेज ड्राप-आउट्स आज के युवाओं के रोल मॉडल हैं और यह सोचने पर मजबूर करते हैं की सक्सेसफुल होने के लिए सिर्फ पढाई लिखाई जरुरी नहीं, जरुरी है खुद पर भरोसा और यकीन।
हमारे पास कई और ऐसे कॉलेज ड्रॉप-आउट्स के उदहारण हैं जिन्होंने भारत में स्टार्टअप इंडस्ट्री को एक नई पहचान दी है और युवा उद्यमी बनकर ये साबित किया है की अगर हौसले बुलंद हों तो कामयाबी अपने आप आपके कदम चूमेगी।
वरुण शूर, कैलाश काटकर, दीपक रवींद्रन, रितेश अग्रवाल, कुणाल शाह, महेश मूर्ति, अजहर इकबाल, राहुल यादव, यह कुछ ऐसे नाम हैं जिन्होंने एक उदाहरण सेट किया है कि अगर आपको कामयाब होना है तो आप को लकीर से हटकर सोचना होगा, थोड़ा रिस्क भी लेना होगा और सही समय पर सही निर्णय लेना होगा। तब जा कर आप अपने सपने को साकार कर पाएंगे।
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