Tuesday, May 19, 2020

सरकार ने रक्षा क्षेत्र में विदेशी निवेश की सीमा बढ़ाई, आर्थिक सुधार के लिए कई बड़े फैसले

आज की दिल्ली / इंडियन न्यूज़ ऑनलाइन :

Private sector will also be given equal opportunities in the space ...


नई दिल्ली:  भारत सरकार ने डिफेंस मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में विदेशी निवेश की सीमा ऑटोमेटिक रूट के जरिए 49% से बढाकर 74% करने का फैसला किया है.  वित्त मंत्री ने आपने चौथे इकॉनामिक पैकेज के ऐलान के दौरान इसका खुलासा किया. साथ ही सरकार ने कोयला और खनिज से लेकर बिजली डिस्ट्रीब्यूशन और अंतरिक्ष के क्षेत्र में बड़े स्तर पर आर्थिक सुधार करने का फैसला किया है. 
अर्थव्यवस्था को कोविड संकट से उबारने की रणनीति बनाने में जुटीं वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शनिवार को डिफेन्स मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में विदेशी निवेश की सीमा को बढ़ाने का एक अहम ऐलान कर दिया.  
रक्षा क्षेत्र में एफडीआई स्वचालित मार्ग के तहत रक्षा विनिर्माण क्षेत्र में विदेशी निवेश की सीमा 49% से बढाकर 74% की जाएगी. समयबद्ध रक्षा खरीद प्रक्रिया और तेजी से निर्णय लेने के लिए विशेष पहल की जाएगी. सरकार वर्ष-वार समय सीमा के साथ आयात पर प्रतिबंध के लिए हथियारों और प्लेटफार्मों की सूची अधिसूचित करेगी. आयातित वर्गों के स्वदेशीकरण के लिए भी फोकस मेक इन इंडिया पर होगा.  तैयारी संवेदनशील सेक्टर में निवेश बढ़ने की है जिससे डिफेन्स मैन्युफैक्चरिंग में भारत की आत्मनिर्भरता मज़बूत हो सके. 
सरकार की तैयारी कोयला सेक्टर में कामर्शियल माइनिंग को अनुमति देने की है. इसके तहत वित्त मंत्री ने चौथे इकॉनामिक पैकेज के तहत बताया कि पहले चरण में 50 कोल ब्लॉक्स ऑफर किए जाएंगे. खनिज क्षेत्र में निजी निवेश बढ़ाने के लिए 500 खनन ब्लॉकों की नीलामी होगी. पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप यानी PPP मॉडल से नए वर्ल्ड क्लास एयरपोर्ट बनाए जाएंगे. विमान रख रखाव, मरम्मत और ओवरहॉल के लिए भारत को वैश्विक केंद्र बनाने की तैयारी है और केंद्र शासित प्रदेशों में बिजली विभागों और यूटिलिटीज का निजीकरण किया जाएगा.
साथ ही तैयारी अंतरिक्ष क्षेत्र में उपग्रहों, प्रक्षेपणों और अंतरिक्ष-आधारित सेवाओं में निजी कंपनियों के लिए लेवल प्लेईंग फील्ड बनाने की भी है.

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