आज की दिल्ली / इंडियन न्यूज़ ऑनलाइन
प्रवक्ता ने कहा कि सरकारों को इस फैसले को तुरंत वापस लेना चाहिए। संगठन ने यहा भी कहा है कि वह इस फैसले के खिलाफ प्रदर्शन करेगा। कोरोना संकट की वजह से ठप पड़े कारोबार को गति देने के नाम पर यूपी में औद्योगिक इकाइयों, प्रतिष्ठानों और कारखानों को एक हजार दिन (यानी तीन साल) के लिए दी गई श्रम कानूनों में छूट देदी है। मजदूर संगठनों के साथ ही विरोधी दलों का कहना है कि औद्योगिक घरानों को मिली इस छूट का खामियाजा प्रदेश का मजदूर भुगतेगा। साथ ही इस छूट से स्पष्ट हो गया है रोजगार देने का ऐलान भी बीजेपी का चुनावी जुमला था।
उत्तर प्रदेश में पहले सप्ताह में 48 घंटे के काम का प्रावधान था जिसे बढ़ाकर 72 घंटे कर दिया गया है। अब दिन में 8 घंटे से ज्यादा काम करने पर उसका अलग से भुगतान भी नहीं किया जाएगा। इसके साथ ही यूपी सरकार ने ट्रेड यूनियन की अनिवार्यता भी खत्म कर दी है। इसके माध्यम से मजदूर अपनीं मांगों को मनवाने का प्रयत्न किया करते थे।
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