Friday, July 16, 2021

एक पुल ऐसा जिसके नीचे नदी तो ऊपर बहती है नहर

क्षेत्र भर में मशहूर है चांदपुरा घग्गर साइफन

जाखल  योगेश खनेजा


भारत देश हमेशा ही ऐतिहासिक स्मारकों का देश रहा है। चाहे ताजमहल हो या फिर लाल किला या फिर कुतुबमीनार। सभी स्मारक अपने आप में एक उत्कृष्ट निर्माण कला के नायाब नमूने हैं। ऐसा ही एक स्मारक फतेहाबाद जिले के खंड जाखल के गांव चांदपुरा घग्घर नदी के ऊपर भाखड़ा नहर पुल है, जिसको घग्घर साईफन के नाम से जाना जाता है। जो भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू के शासनकाल में इंजीनियर कंवर सेन की उत्कृष्ट निर्माण कला का ऐतिहासिक उदाहरण है।

ऊपर भाखड़ा नहर, तो नीचे घग्घर नदी

जाखल क्षेत्र से गुजरने वाली भाखड़ा मेन ब्रांच की भुर्जी नंबर आर डी 64000 के पास ऊपर बहती भाखड़ा नहर और नीचे शिवालिक की पहाड़ियों से निकलकर आने वाली घर घर नदी की अविरल छटा देखते ही बनती है। इतना ही नहीं दोनों नदियों के बीच बने पुल के बीचों-बीच बनी 21 कोठरियां स्वयं में अनूठी हैं। घरघर नदी से 15 फुट की ऊंचाई पर पुल का निर्माण इस तरह से किया गया कि ऊपर से भाखड़ा नहर की निकासी हुई। नदी एवं नहर के बीचों-बीच 21 सुरंग मार्ग कोठरियों का निर्माण किया गया। जिन्हें चोर कोठरियों के नाम से जाना जाता है। जिसको घग्गर साइफन के नाम से जाना जाता है। इस पुल को सिंचाई विभाग की ऐतिहासिक और उत्कर्ष संरचना माना जाता है। चूंकि इतना पुराना पुल होने के बावजूद इसकी मजबूती आज भी बरकरार है।


👉66 वर्ष पुराना है पुल

बताया जाता है कि भाखड़ा नहर के निर्माण के दौरान देश के प्रथम प्रधानमंत्री स्व. पं.जवाहर लाल नेहरू ने इस नहर के साथ ही साईफन का लोकार्पण किया था। जिला फतेहाबाद का यह पुल लगभग 66 वर्ष पुराना है। इस पुल का निर्माण सन् 1952 में शुरू हुआ था। 3 वर्ष में इसका निर्माण तत्कालीन मुख्य अभियंता सिंचाई विभाग, और टोहाना के इंजीनियर कंवर सेन के निर्देशन में पूरा हुआ। इतिहास के जानकारों के मुताबिक इस इलाके में जलापूर्ति का एक मात्र साधन घग्घर नदी थी, जिससे क्षेत्र के किसानों एवं अन्य लोगों को जलापूर्ति का अभाव रहता था। जलाभाव से पीड़ित लोगों की मांग पर ही देश के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू ने भाखड़ा नहर का निर्माण कर हरियाणा पंजाब राजस्थान के लोगों की प्यास बुझाई।

इस साइफन के आधार पर बने अन्य साइफन

बुझाई मानसून के चलते बाढ़ की आशंका को देखते हुए जब घग्र नदी तूफान आने के बाद इसका पानी क्षेत्रीय खेतों के दाएं और बाएं दिशा में फैल जाने लगा तब इस साइफन की क्षमता और अधिक बढ़ाने के उद्देश्य से इरिगेशन विभाग ने भाखड़ा मेन ब्रांच की बुर्जी नंबर आरडी 43000 के पास एक रंगोई नाले के साइफन का भी निर्माण किया। इसके अलावा मुख्य नहर की आरडी 34000 के पास जोईया साईफन का निर्माण किया गया। साइफन की तर्ज पर भाखड़ा मेन ब्रांच नहर के बुर्जी नंबर 151 नंगल विश्रामगृह के पास साइफन का निर्माण 1959 में किया गया। स्कूल का बनाने का उद्देश्य भी पंजाब क्षेत्र की अनेक ट्रेनों का पानी जब भाखड़ा नहर से आकर्षक जाता था उनको निकालने के उद्देश्य से इस साइफन का भी निर्माण किया गया। इतना ही नहीं इस घग्गर साइफन पर नदी में 24000 क्यूसेक पानी आने के बावजूद भी और इतना वर्ष पुराना होने के बावजूद भी आज भी ज्यों का त्यों पड़ा है।

👉दूर-दूर से आते हैं लोग देखने

क्षेत्र में बने इस विशाल साइफन को देखने के लिए भी लोग दूर-दूर से आकर निर्माण कला की प्रशंसा करते हैं। वहीं यह आसपास के गांवो मे आने वाले हर रिश्तेदार भी इस साइफन को जरूर देख कर जाते हैं। इस घग्गर साइफन पर कई बार अनेक फिल्में भी शूट हो चुकी हैं वहीं कई पंजाबी गीतों की भी शूटिंग की जा चुकी है।

👉 साईफन है सरकारी उपेक्षा का शिकार

55 वर्ष बाद जब सिंचाई विभाग ने इसकी सुध लेते हुए गत वर्ष मई 2019 में इस साइफन के आगे बड़े-बड़े गड्ढे को भरने के लिए 88 लाख रूपए की लागत से फर्ज को दुरुस्त करवाया गया। लेकिन निर्माण कार्य के दौरान ही घग्घर में पानी आ जाने से लगा लगाया पैसा पानी में बह गया। हर वर्ष बाढ़ के दिनों में गगर और इसकी सहायक रंगोली नाला इत्यादि के फूलों के तट बंधुओं को मजबूत करने के लिए करोड़ों रुपया लगाया जाता है लेकिन ठेकेदार निर्माण सामग्री सही ना लगा कर पैसा डकार जाते हैं। जिसे सरकार को हर वर्ष करोड़ों रुपए का चूना लगाया जा रहा है।

👉इसके सौंदर्य करण की मांग

गांव चांदपुरा के सरपंच बलदेव सिंह, सिधानी सरपंच बिक्कर सिंह, तलवाड़ी के सरपंच सतीश कुमार, चांदपुरा के पूर्व सरपंच गुरचरण सिंह, मूंदलियां के पूर्व निर्मल सिंह, डॉक्टर भीमराव अंबेडकर अधिकार मंच के प्रधान बिकर सिंह,  समाजसेवी रामचंद्र इंसान, बलदेव ग्रेवाल, कर्मजीत सिंह, गुरसेवक सिंह काला, लखबीर गरेवाल, नाजर खालसा, जरनैल सिंह भंगू, हैप्पी सिंह, गुरप्रीत सिंह, रूप सिंह, इत्यादि ग्रामीणों ने सरकार से मांग करते हुए कहा कि अगर हरियाणा सरकार और जिला प्रशासन सहित सिंचाई विभाग इस ओर ध्यान दें तो यह घर साइफन एक धरोहर के रूप में जाना जा सकता है, घग्गर पुल के चारों और बने घेरे जिसमें प्रत्येक घेरा लगभग 4 एकड़ भूमि में बना हुआ है। अगर इनका कायाकल्प करते हुए बड़े पार्कों में या किसी उद्यान के रूप में तब्दील कर स्मारक में विकसित किया जाए। तो यह आने वाली पीढ़ी के लिए किसी बड़ी विरासत से कम नहीं आंका जाएगा।

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इस बारे में सिंचाई विभाग एवं जल सेवाएं संसाधन के उपमंडल टोहाना घग्गर डिवीजन के एसडीओ संजीव सिंगला ने कहा साईफन पर समय समय पर वैसे तो देख रेख करते हुए मुरमत की जाती है। फिर भी यहां पार्क बनवाने के बारे में उनके पास कोई लिखित में मांग पत्र नहीं आया। ग्राम पंचायतें अगर कार्यालय में लिखित में मांग रखे। तो मनरेगा के तहत इसके निर्माण के बारे उच्च अधिकारियों को अवगत करवाया जाएगा। या यहां पर पंचायत खुद भी पार्क बना सकती है।

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