Sunday, August 1, 2021

चीटिंयों को सौ ग्राम चीनी खिला दो, हो गया भंडारा

 आज की दिल्ली, योगराज शर्मा



विश्व भर में कमजोर आर्थिक हालात हो या फिर कोरोना संकट के बाद हम सब के पास आई धन की कमी। जेब कमजोर हुई है, लेकिन हमारा और आपका दिल वैसा ही समंदर का विशाल है। जितना संभव हो लोगो की सहायता भी करते है और मानवीयता, पशु पक्षियों और संपूर्ण प्राणी जगत के लिए काम भी करते हैं।

वर्ल्ड ह्यूमन राइटस ओर्गेनाइजेशन से जुडे आप जैसे दोस्तो पर मुझे इसीलिए गर्व है कि आपने जो संभव हो संगठन की मदद भी की हैऔर आगे भी सद-विचार तो रखते है। कल एक लेख पढ रहा था कि – एक भंडारे में खाना खा रहे दो दोस्तो ने चर्चा कि काश हमारे पास भी अतिरिक्त धन होता तो हम भी क्यो न भंडारा का आयोजन करते और किसी की मदद करते। उनकी ये बात एक साधू ने सुनी और कहा- भंडारा केवल बहुत पैसे से नहीं होता। जेब में सौ रुपये है, बिस्कुटस खरीदों और गरीब बच्चों को खिला दो, हो गया भंडारा। आपके पास एक दो किलो चावल या दाना है पक्षियों को खिला दो, हो गया भंडारा। यहां तक कि आपके पास 100 ग्राम चीनी है, चिंटिंयों को खिला दिया, हो गया भंडारा। अच्छा लगा, इसलिए शेयर कर रहा हूं।

ये ही विचार लेकर वर्ल्ड ह्यूमन राइटस ओर्गेनाइजेशन विश्व भर मे चुनिंदा सेवा भाव वाले लोगो को जोडकर कार्य कर रहा है। जैसा पहले कहा था, भीड नहीं चाहिए। बहुत पैसा नहीं चाहिए। दिल में सेवा की भावना हो, सच्चाई और इमानदारी से समाज, देश व मानवता के लिए काम करने का जज्बा हो। ऐसे साथी चाहिएं। मानव अधिकारों और मौलिक अधिकारों की जागरुकता से लेकर उसके हनन को रोकने के लिए जो काम करें।

आभार

WORLD HUMAN RIGHTS ORGANIZATION

WHATSAPP HELPLINE- 7011490810

No comments:

Post a Comment

Note: Only a member of this blog may post a comment.