नई दिल्ली, 14 नवम्बर, 2021- दिल्ली प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष चौ0 अनिल कुमार ने कहा है कि भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरु ने देश के विकास की जो नींव रखी आज उसी की बदौलत हमारा देश आत्मनिर्भरता के लक्ष्य को हासिल करने में कामयाब हुआ है, जिसकी दुहाई वर्तमान में प्रधानमंत्री मोदी दे रहे है। चौ0 अनिल कुमार ने आज यहां प्रदेश कांग्रेस कार्यालय राजीव भवन में पंडित जवाहरलाल नेहरु के 132वें जन्मदिवस के मौके पर कहा।
प्रदेश अध्यक्ष चौ0 अनिल कुमार सहित प्रदेश कांग्रेस प्रभारी व सासंद श्री शक्तिसिन्ह गोहिल, पूर्व सासंद श्री रमेश कुमार, प्रदेश उपाध्यक्ष श्री जय किशन और श्री अभिषेक दत्त, कम्यूनिकेशन विभाग के चैयरमेन अनिल भारद्वाज, पूर्व विधायक हरी शंकर गुप्ता, विजय सिंह लोचव, सेवादल मुख्य संगठक सुनील कुमार, प्रदेश युवा कांग्रेस अध्यक्ष रणविजय सिंह, जिला अध्यक्ष दिनेश कुमार और राजेश चौहान, आईटी सेल चेयरमेन राहुल शर्मा, पूर्व पार्षद मनोज यादव, ईश्वर बागड़ी, अनुज अत्रेय, महिन्द्र मंगला, आदेश भारद्वाज, राजबीर सिंह सौलंकी एवं मौजूद अन्य कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने पं0 नेहरु जी के चित्र पर फूल चढ़ाऐ।
प्रदेश अध्यक्ष चौ0 अनिल कुमार ने इस अवसर पर कहा कि पं0 नेहरु ने देश को सिर्फ आजादी ही नहीं दिलाई बल्कि आजादी के बाद भारत के विकास की ऐसी नीति तैयारी की जिसकी बदौलत हमारे देश ने शिक्षा, गरीबी उन्मूलन तथा औद्योगिक विकास के साथ-साथ विदेशों से भाई चारे और सहयोग के नए-नए दरवाजे खुलते गए तथा भारत विश्व मानचित्र पर उभरता गया। चौ0 अनिल कुमार ने कहा कि हमारे उपर पंडित नेहरु के महान व्यक्तित्व और उनके त्याग से आज दूसरे राजनीतिक दलों के नेताओं प्रेरणा लेनी चाहिए जो स्वार्थ और स्वयंहित के लिए काम कर रहे है। उन्होंने कहा कि नेहरु जी द्वारा दिखाई गई विकास की डगर पर चलकर कांग्रेस कार्यकर्ताओं पर देश को नई उॅचाईयों पर ले जाने की नैतिक जिम्मेदारी है।
प्रदेश अध्यक्ष चौ0 अनिल कुमार ने कहा कि पं0 नेहरु जी के स्वाधीनता आंदोलन में महान योगदान और प्रभावशाली व्यक्तित्व भुलाया नही जा सकता है। उन्होंने कहा कि नेहरु जी ने प्रधानमंत्री बनते ही देश के सभी क्षेत्रों में अग्रणी विकास पर गौर करते हुए राष्ट्रीय विकास के हित में कदम उठाये। पंडित नेहरु ने किस तरह आगे बढ़कर गुटनिरपेक्ष आंदोलन को चलाने में अहम भूमिका निभाई और विकासशील देशों को नई दिशा प्रदान की जिसकी बदौलत शक्तिशाली राष्ट्रों को विकासशील देशों के प्रति वर्चस्व की नीति का परित्याग कर सहयोग की नीति अपनानी पड़ी।
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