Friday, November 5, 2021

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने सांस्कृतिक एवं धार्मिक इतिहास को संजोया-कमलेश ढांडा

 


चंडीगढ़ 5 नवम्बर - महिला एवं बाल विकास राज्य मंत्री कमलेश ढांडा ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल द्वारा देश, प्रदेश की सांस्कृतिक एवं धार्मिक परम्पराओं को संजोया जा रहा है।

राज्य मंत्री कमलेश ढांडा शुक्रवार कपिलमुनि मंदिर परिसर कलायत में प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी द्वारा उत्तराखंड में केदारनाथ धाम पर 400 करोड़ रुपए राशि की परियोजनाओं के लोकार्पण, शिलान्यास अवसर पर आयोजित कार्यक्त्रम को संबोधित कर रहीं थी। महिला एवं बाल विकास राज्य मंत्री कमलेश ढांडा ने संत-महात्माओं का सम्मान करने उपरांत उपस्थित श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए भगवान भोलेनाथ की कृपा सदैव कलायतवासियों पर बनी रहने की कामना की। उन्होंने कहा कि देश के लोकप्रिय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी द्वारा केदारनाथ धाम पर 400 करोड़ रुपए की राशि के विकास कार्यों का लोकार्पण किया है। उन्होंने श्रद्धालुओं की आस्था और भारतीय संस्कृति को समृद्ध बनाने के प्रतीक केदारनाथ धाम के पुनर्निर्माण को अपने ड्रीम प्रोजेक्ट के तौर पर लिया। प्रधानमंत्री  ने केदारनाथ  मे पहले चरण के पूरे हो चुके विकास कार्यों का लोकार्पण तथा दूसरे चरण की परियोजनाओं की आधारशिला रखी है। उन्होंने कहा कि इन विकास कार्यों में विभिन्न भवनों का निर्माण, घाट, पुल के साथ-साथ जगदगुरू आदि शंकराचार्य का समाधिस्थल एवं प्रतिमा भी शामिल है।


राज्यमन्त्री कमलेश ढांडा ने कहा कि  शंकराचार्य ने अपने ज्ञान को उपदेशो के माध्यम से अलग-अलग मठों की स्थापना करके और ग्रन्थ लिख कर लोगों तक पहुंचाया।उनके द्वारा स्थापित वेदांत मठ, गोवर्धन मठ, शारदा मठ, ज्योतिपीठ मठ आज भी मजबूती से धर्म पताका फहरा रहे हैं।

महिला एवं बाल विकास मंत्री कमलेश ढांडा ने कहा कि हमारा देश धर्म, शिक्षा में विश्व गुरु रहा है। उसी छवि को दोबारा से मजबूत करने का काम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कर रहे हैं। बाबा केदार के प्रति प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की श्रद्धा इतनी गहरी है कि वो उत्तराखंड को दुनिया की आध्यात्मिक एवं सांस्कृतिक राजधानी विकसित करना चाहते हैं।


उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री मनोहर लाल भी हरियाणा के संस्कृति और धार्मिक स्थलों को विकसित करने के लिए संकल्पबद्ध हैं और वर्तमान में कुरूक्षेत्र की 48 कोस परिधि में आने वाले महाभारत कालीन 134 तीर्थ स्थलों को विकसित करने का कार्य  चल रहा है। इनमे कृष्णा सर्किट के तहत यह तीर्थ स्थल कुरूक्षेत्र, कैथल, करनाल, पानीपत व जीन्द में स्थित हैं, जिस पर कुरुक्षेत्र विकास बोर्ड के माध्यम से इन पर तेजी से काम किया जा रहा है। उन्होंने सभी श्रद्धालुओं को ऐतिहासिक पलों के साक्षी बनने के लिए बधाई दी।



  



समाज के पिछड़ेपन को दूर करने के लिए शिक्षा सबसे अहम-डिप्टी स्पीकर


महत्वपूर्ण उपलब्धियां हासिल करने वालों को गौरव रत्न सम्मान से नवाजा गया


चंडीगढ़, 5 नवंबर - हरियाणा विधानसभा के डिप्टी स्पीकर श्री रणबीर गंगवा ने कहा है कि किसी भी समाज के पिछड़ेपन को दूर करने के लिए शिक्षा सबसे अहम है। जिस समाज के लोग ज्यादा शिक्षित होंगे वह समाज उतना ही आगे बढ़ेगा, इसलिए युवाओं का शिक्षित व काबिल होना वर्तमान समय की सबसे बड़ी आवश्यकता है।


डिप्टी स्पीकर शुक्रवार को श्री विश्वकर्मा युवा शक्ति सभा हिसार द्वारा आयोजित श्री विश्वकर्मा समाज परिवार मिलन समारोह को बतौर मुख्य अतिथि संबोधित कर रहे थे।  भगवान विश्वकर्मा को नमन करते हुए उन्होंने कहा कि भगवान विश्वकर्मा किसी एक जाति से संबंधित नहीं है। सुई से जहाज व झोपड़ी से महल का निर्माण करने वाले हाथ के सभी कारीगर भगवान विश्वकर्मा के वंशज हैं। डिप्टी स्पीकर  ने कहा कि वर्तमान समय के मशीनी युग में हाथ का कार्य करने वाले लोगों के लिए पढ़ाई बेहद जरूरी हो गई है, इसलिए समाज के अग्रणी नागरिक शिक्षा पर जोर दें। वर्तमान राज्य सरकार ने पारदर्शिता से मेरिट के आधार पर नौकरियां प्रदान कर सर्व समाज के काबिल बच्चों के लिए आगे बढ़ने के द्वार खोले हैं। गरीब व पिछड़े समाज के परिवारों के बच्चे भी अपनी मेहनत के दम पर हरियाणा सिविल सेवा व अन्य उच्च पदों पर आसीन हुए हैं। उन्होंने समाज के ऊंचे पदों पर आसीन अधिकारियों से भी आह्वान किया कि वे अपने समाज के बच्चों को पढ़ा लिखा कर आगे बढ़ाने की जिम्मेवारी ले, इसी से समाज का पिछड़ापन दूर होगा। इस मौके पर विश्वकर्मा सभा की ओर से रखे गए मांग पत्र पर डिप्टी स्पीकर ने अपने स्वैच्छिक कोष से 21 लाख रुपए की राशि विभिन्न विकास कार्यो के लिए देने की घोषणा की। समाज के 15 से अधिक अधिकारियों और लोगों को  गौरव रत्न सम्मान  दिया गया।


क्रमांक-2021


 


 


चंडीगढ़, 5 नवम्बर - हरियाणा के राज्यपाल श्री बंडारू दत्तात्रेय ने शुक्रवार को श्री विश्वकर्मा दिवस पर राजभवन में आयोजित सादे कार्यक्त्रम में उनकी मूर्ति पर माल्यार्पण कर नमन किया। उन्होंने श्री विश्वकर्मा को कुशल कारीगरों और श्रमिकों का प्रेरणादायी देवता बताया।


उन्होंने कहा की वास्तु के 18 उपदेष्टाओं में श्री विश्वकर्मा को प्रमुख माना गया है। विष्णुपुराण के पहले अंश में श्री विश्वकर्मा को देवताओं का वर्धकी व शिल्पावतार माना गया है। यही मान्यता अनेक पुराणों में भी आई हैं और शिल्प के अन्य ग्रन्थों में उन्हें सृजनकर्ता भी कहा गया है।


श्री दत्तात्रेय के अनुसार श्री विश्वकर्मा जी शिल्प के इतने ज्ञाता थे कि जल पर चल सकने योग्य खड़ाऊ तैयार करने में भी समर्थ थे। आज पूरा देश ऐसे युगपुरूष शिल्पावतार को नमन कर रहा है।


        उन्होंने कहा कि श्री विश्वकर्मा  ने ही भारत में टेक्नोलॉजी और अभियांत्रिकी (इंजीनियरिंग) तथा कौशलता के प्रयोग के बारे में बताया और विकास में प्रयोग होने वाले औजारों का निर्माण कर विश्व को सृजनता और कौशलता का ज्ञान दिया। हमारे देश में मानव स्वास्थ्य के लिए शल्य चिकित्सा से लेकर उद्योग निर्माण, बड़े शहरों को खड़ा करने में अभियांत्रिकी व टेक्नोलॉजी का ही योगदान है। जो  विश्वकर्मा की ही देन है।


        उन्होंने कहा कि आज हमें श्री विश्वकर्मा की सृजन एवं कौशल कला को विकसित करने की नितांत आवश्यकता है। गांव स्तर पर छोटे कुटीर उद्योग स्थापित कर युवा पीढ़ी में कौशलता की शिक्षा  और छोटे व्यवसायों को बढ़ावा देना होगा। आज देश में 94 प्रतिशत श्रम शक्ति अकुशल है।  हमें कौशलता पर बल देकर ज्यादा से ज्यादा लोगों को उनके रूचिकर कार्यों में कुशल बनाना होगा।


श्री दत्तात्रेय ने कहा कि देश में कुशल कारीगर होने से गांव स्तर पर होने वाले लौहार, वैल्डर, बढ़ई, कॉब्लर, राज मिस्त्री और कुम्हार से सम्बन्धित व्यवसाय स्थापित होंगे और देश आत्मनिर्भरता की दिशा में और आगे बढ़ पाएगा। जिससे हर घर में काम होगा तथा घर-घर का उत्पाद लोकल फार वोकल बनेगा।


        श्री दत्तात्रेय ने कहा कि वर्तमान में प्रधानमंत्री जी ने स्किल इंडिया और स्टार्टअप जैसी कई योजनाएं व कार्यक्त्रम शुरू किए हैं। खुशी की बात है कि हरियाणा में 1000 करोड़ रूपये की लागत से देश के पहले श्री विश्वकर्मा कौशल विश्वविद्यालय की स्थापना की गई है। इस विश्वविद्यालय में स्थानीय मांग के आधार पर युवाओं को कौशलता की शिक्षा दी जाएगी जिससे देश में बेरोजगारी की समस्या खत्म होगी और युवाओं को रोजगार मिलेगा। आज हमें स्किल, रि-स्किल्ड और मोर स्किलड की उक्ति पर कार्य करना है। तभी हम विश्व को श्री विश्वकर्मा के सृजन का संदेश पहुंचा पाएंगे।

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