Tuesday, February 8, 2022

यह कैसी सरकार? न गरीब को रोजगार, न पढ़े-लिखे को : कुमारी सैलजा

- मनरेगा में मांगने पर भी काम न देने पर प्रदेश की हालत चिंताजनक - छोटे राज्यों में पहले तो देश में चौथे स्थान पर हरियाणा चंडीगढ़, 8 फरवरी हरियाणा कांग्रेस अध्यक्ष कुमारी सैलजा ने कहा कि रोजगार के मामले में प्रदेश की हालत अत्यंत खराब हो चुकी है। यहां पर न तो दिहाड़ी-मजदूरी करने वाले गरीब को ही रोजगार नसीब हो रहा है और न ही पढ़ने-लिखने के बाद ही नौकरी के अवसर मिल रहे हैं। मनरेगा में मांगने पर काम न मिलने के मामले में प्रदेश के हालत देश के औसत हालात से अधिक भयावह हैं। रोजगार न देने वाले छोटे प्रदेशों में हरियाणा पहले स्थान पर पहुंच गया है। मीडिया को जारी बयान में कुमारी सैलजा ने कहा कि केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय की ओर से जारी रिपोर्ट प्रदेश की भाजपा-जजपा गठबंधन सरकार की पोल खोल खोलने के लिए काफी हैं। इस रिपोर्ट के अनुसार देश में पिछले साल 11.6 करोड़ लोगों ने मनरेगा के तहत काम मांगा, लेकिन 16.3 प्रतिशत लोगों को काम मिला ही नहीं। हरियाणा कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि रोजगार न देने वाले राज्यों की ओवरऑल स्थिति को देखें तो पहले चार पायदान पर गुजरात, बिहार, मध्यप्रदेश व हरियाणा हैं। ये चारों ही भाजपा शासित राज्य हैं। हरियाणा में 6.52 लाख लोगों ने मनरेगा के तहत प्रदेश सरकार से काम की मांग की, लेकिन इनमें से 1.34 लाख लोगों को काम मिला ही नहीं। काम न मिलने वाले लोगों की राष्ट्रीय औसत 16.3 के मुकाबले प्रदेश में इनकी संख्या 20.7 प्रतिशत रही। उन्होंने कहा कि मनरेगा में काम करने वाले वे लोग हैं, जो सिर्फ दिहाड़ी-मजदूरी से ही परिवार को पालते हैं। इससे पता चलता है कि भाजपा-जजपा गठबंधन की गलत नीतियों के चलते प्रदेश का गरीब तबका भूखा सोने को मजबूर है। कुमारी सैलजा ने कहा कि ग्रामीण इलाकों में रहने वाले मेहनतकश लोगों के लिए मनरेगा जीवनदायिनी स्कीम है, लेकिन अब साजिश के तहत केंद्र सरकार इसके बजट में 25 प्रतिशत की कटौती कर रही है। अंदाजा लगाया जा सकता है कि मनरेगा के बजट में कटौती के बिना ही लोग भूखे रहने को मजबूर हो रहे हैं तो फिर एक अप्रैल के बाद यह कटौती लागू होने के बाद मेहनत-मजदूरी करने वाले इन परिवारों की हालत कितनी बदतर हो जाएगी। हरियाणा कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि इससे पहले सेंटर फॉर मॉनिटरिंग ऑफ इंडियन इकोनॉमी (सीएमआईई) की रिपोर्ट में खुलासा हुआ था कि प्रदेश में हर तीन में से एक ग्रेजुएट बेरोजगार है। जबकि सीएमआईई की रिपोर्ट हरियाणा को बेरोजगारी के मामले में लगातार टॉप पर बताती रही है। घटते हुए रोजगार के अवसरों के लिए कुमारी सैलजा ने प्रदेश सरकार की गलत नीतियों को जिम्मेदार ठहराया है।

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