Wednesday, April 10, 2024

प्रेस विज्ञप्ति

 


NEW DELHI/ YOGRAJ SHARMA/  AAJ KI DELHI
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पुरानी पेंशन,आठवें पे कमीशन का गठन व ठेका कर्मियों की रेगुलराइजेशन आदि मांगों को लेकर कर्मचारी देश भर में जन जागरण अभियान चलाएंगे। इस अभियान के तहत सभी राज्यों में कर्मचारी सभाओं का आयोजन किया जाएगा। कर्मचारी संगठन मुख्य राजनीतिक दलों को मेमोरंडम भेजकर कर्मचारी मांगों पर अपने दल का रुख स्पष्ट करने की मांग भी करेंगे। राजनैतिक दलों के रुख को देखकर ही कर्मचारी एवं उनके परिजन लोकसभा चुनाव में मत देने का फैसला किया करेंगे। अखिल भारतीय राज्य सरकारी कर्मचारी महासंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष सुभाष लांबा ने यह जानकारी देते हुए बताया कि कर्मचारियों की प्रमुख मांगों में उपरोक्त के अलावा केन्द्र एवं राज्य सरकारों और पीएसयू में खाली पड़े करीब एक करोड़ पदों को स्थाई भर्ती से भरने, पीएसयू के निजीकरण व सरकारी विभागों के डाउन साइजिंग की नीतियों पर रोक लगाने, लोकतांत्रिक एवं ट्रेड यूनियन अधिकारों की रक्षा करने,कोरोना काल में फ्रीज किए 18 महीने के बकाया डीए डीआर का भुगतान करने, एचआरए के स्लैब में बदलाव कर 10,20 व 30 प्रतिशत करने, पेंशनर्स की 65,70 व 75 साल की उम्र में बेसिक पेंशन में 5 प्रतिशत बढ़ोतरी करने आदि शामिल हैं। 

अखिल भारतीय राज्य सरकारी कर्मचारी महासंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष सुभाष लांबा ने बताया कि केन्द्र एवं राज्य कर्मचारी पिछले करीब एक साल से ज्यादा समय से उक्त मांगों को लेकर निरंतर आंदोलन चलाए हुए हैं। इस कड़ी में कर्मचारी पिछले साल तीन नवंबर को रामलीला मैदान नई दिल्ली में चेतावनी रैली करने के बाद 16 फरवरी को राष्ट्रव्यापी सफल हड़ताल कर सरकार को अपनी ताकत दिखा चुके हैं। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने लोकपाल चुनाव से ठीक पहले  पुरानी पेंशन बहाली व आठवें पे कमीशन के गठन करने की कर्मियों की प्रमुख मांग को मानने से स्पष्ट इंकार कर जले पर नमक छिड़कने का काम किया है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने भी अपने घोषणा पत्र में पुरानी पेंशन बहाली का वादा न करके कर्मचारियों को निराश ही किया है। उन्होंने कहा कि देश भर में पचास लाख से ज्यादा पढ़े लिखे नौजवान स्वीकृत रिक्त पदों के विरुद्ध ठेका संविदा आधार पर काम कर रहे हैं। जहां उन्हें न तो समान काम समान वेतन मिल रहा है और न ही उन्हें कोई सेवा सुरक्षा है। यह पढ़े लिखे नौजवानों का आर्थिक व मानसिक शोषण है। उन्होंने कहा कि सरकार सार्वजनिक क्षेत्र को मजबूत करने की बजाय नेशनल मुद्रीकरण पाइपलाइन के नाम पर निजीकरण को बढ़ावा दे रही है। उन्होंने कहा कि सरकार कारपोरेट घरानों के लाखों करोड़ के कर्ज़ के राइट आफ कर रही है और लाखों करोड़ रुपए के टैक्स माफ कर चुकी हैं। लेकिन आयकर छूट की सीमा को नहीं बढ़ा रही है। कर्मचारी एसोसिएशन एवं फेडरेशन की मान्यताओं को वापस लिया जा रहा है। जम्मू-कश्मीर सरकार ने मांगों को लेकर कर्मचारियों के धरना-प्रदर्शन व हड़ताल पर रोक लगा दी है। यूपी से हड़ताल एवं धरने-प्रदर्शन रोकने के लिए एस्मा लगाया हुआ है। त्रिपुरा में सरकार के संरक्षण में कर्मचारियों पर हमले जारी हैं। जिसको लेकर कर्मचारियों में भारी नाराजगी है।

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