Tuesday, April 30, 2024
यमना बाजार से लाल किले तक सजाया गया जरनैली मार्च; लाल किले पर बच्चों की गतका प्रतियोगिता आयोजित की गई
नई दिल्ली,: दिल्ली फतेह दिवस के दूसरे दिन राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली की सड़कों पर निहंग सिंहों ने खालसाई जाहो जलाल के साथ सिख मार्शल आर्ट गतके का प्रदर्शन किया। दिल्ली फ़तेह दिवस के दूसरे दिन, जमना बाज़ार से लाल किले तक एक जरनैली मार्च का आयोजन किया गया जिसमें बाबा बलबीर सिंह 96 करोड़ बुड्ढा दल सहित अन्य निहंग सिंहों ने घोड़ों व हाथियों पर सवार होकर भाग लिया।
इस मार्च में दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के अध्यक्ष सरदार हरमीत सिंह कालका और महासचिव सरदार जगदीप सिंह काहलों के नेतृत्व में दिल्ली गुरुद्वारा कमेटी के सभी पदाधिकारी और सदस्य बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं के साथ शामिल हुए और यात्रा का नेतृत्व किया।
समूचे मार्च के दौरान, निहंग सिंह खालसाई जाहो जलाल के साथ साहिब ए कमाल गुरु गोबिंद सिंह साहिब जी द्वारा आशीर्वाद प्राप्त शस्त्र पहनकर गतका खेल रहे थे। यह मार्च जमना बाजार होता हुआ लाल किले तक पहुंचा, इस दौरान राष्ट्रीय राजधानी की सड़कों पर खालसाई चढ़दीकला का प्रतीक देखकर हर कोई हैरान रह गया. महान सेनापति बाबा बाघेल सिंह, बाबा जस्सा सिंह रामगढ़िया और बाबा जस्सा सिंह अहलूवालिया के नेतृत्व में लाल किले पर हमला करके शाह आलम द्वितीय को हराने के इस उत्सव को दिल्ली फतेह दिवस के रूप में मनाया जाता है।
भारत के इतिहास में यह पहली बार था जब मुगलों को उनके ही घर में हराया गया। सिख जनरलों द्वारा नेतृत्व इस सेना में 30 हज़ार की सेना शामिल थी। इस जीत के बाद इन महान सेनापतियों ने 10 महीने तक दिल्ली में डेरा डाला और गुरु साहिबानों से जुड़े तीर्थस्थलों को चिह्नित किया और वहां गुरुद्वारा साहिब का निर्माण कराया, जहां आज गुरुद्वारा शीशगंज साहिब, गुरुद्वारा बंगला साहिब, गुरुद्वारा बाला साहिब और अन्य गुरु घर सुशोभित हैं।
इस अवसर पर समिति के अध्यक्ष सरदार हरमीत सिंह कालका और महासचिव सरदार जगदीप सिंह काहलों ने कहा कि वे भाग्यशाली हैं कि समिति के मुख्य सेवक के रूप में वे भारत सरकार के साथ मिलकर उसी लाल किले पर दिल्ली फतेह दिवस मना रहे हैं जहां से गुरु तेगबहादुर साहिब जी को शहीद करने का आदेश मुगलों द्वारा दिया था।
उन्होंने कहा कि इन महान जनरलों को याद करना सिख समुदाय के लिए बहुत खुशी की बात है।
मार्च की समाप्ति के बाद लाल किले पर ही विद्यार्थियों की गतका प्रतियोगिताएं भी आयोजित की गईं।
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