Wednesday, May 15, 2024

बिजली कर्मियों के संगठन ने चुनाव लड़ रहे प्रत्याशियों से किए पांच कड़े सवाल: सुभाष लांबा

 


जवाब मिलने पर करेंगे मतदान का फैसला

चंडीगढ़,14 मई।

देश के बिजली कर्मचारियों के प्रमुख संगठन
इलेक्ट्रिसिटी एम्पलाइज फेडरेशन ऑफ इंडिया (ईईएफआई) ने सार्वजनिक अपील जारी कर चुनाव लड़ रहे सभी राजनीतिक दलों के प्रत्याशियों से पांच सवाल किए हैं। इन सवालों के जवाब मिलने के बाद  बिजली कर्मचारी एवं इंजीनियर मतदान करने का फैसला करेंगे। यह जानकारी मंगलवार को सेक्टर 30 स्थित चीमा भवन में आयोजित यूटी पावर मैन यूनियन, चंडीगढ़ की कार्यकारिणी की बैठक को संबोधित करते हुए ईईएफआई के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष सुभाष लांबा ने दी। बैठक में फरवरी,2022 में बिजली निजीकरण के खिलाफ हुई दो दिवसीय हड़ताल के दौरान नेताओं के खिलाफ दर्ज मुकदमे, कारण बताओ नोटिस व अन्य उत्पीड़न की कार्यवाहियों को वापस न लेने की घोर निन्दा की गई। बैठक में केन्द्र सरकार द्वारा आठवें पे कमीशन के गठन न करने, पुरानी पेंशन बहाली व ठेका कर्मियों को नियमित करने से साफ इंकार करने की भी घोर निन्दा की गई। यूनियन के प्रधान ध्यान सिंह की अध्यक्षता में आयोजित इस महत्वपूर्ण बैठक में ईईएफआई के राष्ट्रीय सचिव सुदीप दत्ता व गोपाल दत्त जोशी भी विशेष तोर पर उपस्थित थे।ईईएफआई के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष सुभाष लांबा ने बताया कि लोकसभा चुनाव लड़ रहे प्रत्याशियों से पुछे गए सवाल निम्न हैं:-

1. बिजली वितरण प्रणाली के निजीकरण के बिजली अमेंडमेंट बिल पर आपकी क्या समझ है ? आपने इसे वापस लेने के लिए अब तक क्या किया है और भविष्य क्या करेंगे ?
2. कोयला आयात और कोयले की फर्जी कीमत वृद्धि पर आपकी क्या समझ है ? आप यह कैसे सुनिश्चित करेंगे कि कोयला आयात का जबरन बोझ उत्पादन इकाईयां पर नहीं रहेगा ?
3. सार्वजनिक डिस्कॉम नेटवर्क में निजी कंपनियों की घुसपैठ पर आपकी क्या समझ है ? यह कैसे सुनिश्चित किया जाएगा कि कोई निजी कंपनी सार्वजनिक डिस्कॉम के बाज़ार में प्रवेश नहीं करेगी ?
4. निजी एजेंसी द्वारा सब्सिडी और प्रीपेड स्मार्ट मीटरिंग पर आपकी क्या समझ है ? आप यह कैसे सुनिश्चित करेंगे कि डिस्कॉम की सब्सिडी और वित्तीय हालात सुरक्षित और विकसित होंगे ?
5. आप उपभोक्ताओं को किफायती दरों पर बिजली की उपलब्धता कैसे सुनिश्चित करेंगे ?

श्री लांबा ने बताया कि इस बात में कोई संदेह नहीं है कि मौजूदा केंद्र सरकार ने भारतीय बिजली क्षेत्र पर सबसे क्रूर हमला किया है। सत्ता में आने के तुरंत बाद, इसने कोयले पर कई तरह के टैक्स लाद दिए, इसमें बेसिक मूल्य पर रॉयल्टी (14%),जीएसटी (5%) और जीएसटी मुआवजा उपकर (400 रुपये प्रति टन), कॉर्पोरेट टैक्स तथा रेलवे माल ढुलाई के बढ़े हुए दाम शामिल हैं। और उच्च रेलवे माल ढुलाई शुल्क सहित कई कर और शुल्क लगाए हैं। इन सबके चलते आम उपभोक्ताओं के लिए बिजली की कीमतों का बोझ बहुत बढ़ गया।  उन्होंने कहा कि भारत में बिजली आपूर्ति की औसत लागत पिछले दशक में लगातार बढ़ी तथा 2013-14 में 5.03 रुपये से बढ़कर  2022-23 में 7.00 रुपये हो गई है। उन्होंने कहा कि लोकसभा चुनाव में सभी उद्योगों की जननी बिजली के मुद्दे पर राजनीति दलों की चुप्पी हैरान व परेशान करने वाली है। इसलिए इलेक्ट्रिसिटी एम्पलाइज फेडरेशन ऑफ इंडिया ने सार्वजनिक अपील करके सवाल पुछने पर मजबूर हुई है। बैठक में वरिष्ठ उपाध्यक्ष अमरीक सिंह,उप प्रधान गुरमीत सिंह, सुखविंदर सिंह व श्रृवण सिंह ढिल्लों और सचिव रेशम सिंह व हरजिंदर सिंह ने भी संबोधित किया।

फोटो कैप्शन

कार्यकारिणी की बैठक को संबोधित करते हुए इलेक्ट्रिसिटी एम्पलाइज फेडरेशन ऑफ इंडिया के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष सुभाष लांबा

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