Saturday, August 31, 2024

कागजों में दौड़ रही है हरियाणा में स्वास्थ्य सेवाएं, अस्पताल बीमार, मरीज लाचार: कुमारी सैलजा

 


रेफर सेंटर बनकर रह गए है सरकारी अस्पताल, जान हथेली पर रखकर भटक रहे हैं मरीज


कही डॉक्टर नहीं, डॉक्टर है तो दवा नहीं, स्टाफ नहीं, अपने भवन तक नहीं

भाजपा के दस साल के राज में स्वास्थ्य सेवाओं का निकला दिवाला

चंडीगढ़/सिरसा, 30 अगस्त।

अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी की महासचिव, पूर्व केंद्रीय मंत्री, सिरसा की सांसद कुमारी सैलजा ने कहा कि एक ओर प्रदेश की भाजपा सरकार विकास को लेकर अपनी ही पीठ थपथपाने में लगी हुई है जबकि प्रदेश की जनता मूलभूत सुविधाओं के लिए जूझ रही है। स्वास्थ्य, शिक्षा, बिजली, पानी जैसे मूलभूत सुविधााएं कागजों में कैद होकर रह गई है। प्रदेश की स्वास्थ्य सेवाएं सबसे अधिक लचर है, कही अस्पताल के फर्श पर तो कही अस्पताल के बाहर डिलीवरी हो रही है, कही डॉक्टर नहीं है, डॉक्टर है तो दवा नहीं है, पैरामेडिकल स्टाफ नहीं है। सरकारी अस्पताल रेफर सेेंटर बनकर रह गए है। आयुष्मान कार्ड पर मरीजों को गुमराह किया जा रहा है, डॉक्टरों का भुगतान न होने पर ऐसे मरीजों को उपचार तक नहीं मिल रहा है। ये जनता सब जानती है उसे गुमराह नहीं किया जा सकता, दस साल से खून का घूंट पी रही जनता ने अब भाजपा सरकार को चलता करने का मन बना लिया है और इस चुनाव में वोट की चोट से भाजपा को जनता सबक सिखाकर रही रहेगी।

मीडिया को जारी बयान में कुमारी सैलजा ने कहा है कि  विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के मानकों के अनुसार ग्रामीण इलाकों में हर नागरिक को स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध करवाने के लिए पांच हजार की आबादी पर एक उप स्वास्थ्य केंद्र, 30 हजार की आबादी के लिए एक प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र (पीएचसी) और 80 हजार से 1.20 लाख की आबादी पर एक सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी) होना चाहिए। प्रदेश में 2667 उपस्वास्थ्य केंद्र, 532 प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र और 128 सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र संचालित हैं। वर्तमान आबादी की जरूरतों के हिसाब से 634 उपस्वास्थ्य केंद्रों, 81 प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों और 53 सामुदायिक केंद्रों की कमी बनी हुई है। वर्तमान में स्वास्थ्य सेवाओं का ढांचा जितना होना चाहिए, उतना नहीं है। जितना है उनमें भी स्पेशलिस्ट डॉक्टरों, स्टॉफ नर्सों, रेडियोग्राफरों, फार्मासिस्टों, लैब तकनीशियनों और मल्टीपर्पज कैडर की भारी कमी बनी हुई है। उन्होंने कहा कि इसी प्रकार एक सीएचसी में छह विशेषज्ञ डॉक्टरों (एक सर्जन, एक स्त्री रोग, एक फिजिशियन, एक शिशु रोग, एक हड्डी रोग और एक बेहोशी देने वाला) होना चाहिए।

प्रदेश में जनता की हेल्थ को लेकर कई योजनाएं चलाने की बात कही गई पर उनका लाभ जरूरतमंद लोगों तक नहीं पहुंच रहा फिर ऐसे झूठी घोषणाओं और कथित योजनाओं का क्या लाभ है। पहले मुख्यमंत्री स्वास्थ्य सर्वेक्षण योजना शुरू की गई थी बाद मेें उसका नाम   निरोगी हरियाणा योजना रखा गया यानि सरकार योजनाएं लागू करने के बजाए उनका नाम ही बदलने में लगी रही। सरकार की ओर से कहा गया था कि निरोगी योजना के तहत राज्य में रहने वाले नागरिकों का मुफ्त में मेडिकल चेकअप किया जाएगा ताकि अगर कोई गंभीर बीमारी निकले तो उसका इलाज निशुल्क किया जा सके, योजना के माध्यम से सरकार लोगों का स्वास्थ्य संबंधी डाटा भी एकत्र करेगी, ताकि जरूरत पड़ने पर इसका इस्तेमाल भविष्य में कर सके और लोगों को स्वास्थ्य सुविधाएं दे सके पर सरकार की यह योजना भी पानी पी गई। उन्होंने कहा कि लोगों को बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं देने के लिए सरकार ने ही जिला में एक मेडिकल कालेज खोलने की बात कही, पिछले दस साल में सरकार कितने मेडिकल कालेज खोल पाई जनता को सब पता है। सिरसा मेडिकल कालेज का राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू से शिलान्यास करवाकर सरकार भूल गई, क्योंकि भाजपा सरकार की नीयत ही साफ नहीं, जनता को गुमराह कर राज करती रही है पर अब परेशान जनता उसे सत्ता से बाहर कर कांग्रेस को सत्ता सौंपने का मन बना चुकी है।

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